सरदार बल्लभ भाई पटेल-
(1875-1950)
सरदार बल्लभ भाई पटेल का जन्म गुजरात के करमसद में एक किसान परिवार में 31 अक्टूबर 1875 में हुआ था। वे झवेरभाई पटेल एवं लाडबा देवी की चौथी संतान थे।
पटेल जी शिक्षा ग्रहण करने के लिए गुजरात विभिन्न शहरों में गये जहां वह आत्मनिर्भर रूप से रहे। पटेल जी ने अपनी ही प्रयासों से विधि की शिक्षा ली। उन्होंने गोधरा, बोरसाद एवं आणंद में वकालत की।
अपने मित्रों के निवेदन पर चुनाव लड़ा और 1917 में अहमदाबाद के स्वच्छता आयुक्त बने। किसानों के विरोध में चंपारण में अंग्रेजों के खिलाफ गांधी जी के संघर्स ने पटेल को काफी प्रेरित किया।
गुजरात में सत्याग्रह
बल्लभ भाई पटेल ने खेड़ा जिले में गांव-गांव का दौरा किया और ग्रामीणों से उनकी शिकायते जानी। उन्होंने कर के विरोध में चलाए जाने वाले राज्यवापी आंदोलन में ग्रामीणों से समर्थन माँगा। सरकार ने पटेल जी से बातचीत करने से लिए सहमति जताई एवं वार्षिक राजस्व के भुगतान को लंबित कर दिया साथ ही पुराणी दर लागु कर दी। पटेल जी का एक नायक रूप में उदय हुआ और पुरे भारतवर्ष में उनकी सराहना हुयी। बरदोली सत्याग्रह के समय पर ही महिलायों ने सर्वप्रथम उन्हें 'सरदार' नाम से संबोधित किया। 1920 में वह नवगठित गुजरात प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष चुने गये। वह इस पद पर 1945 तक बने रहे। पटेल ने गांधी के गांधी जी के असहयोग आंदोलन में अहम भूमिका निभाई और राज्यभर में घूमकर 3 लाख सदसयों को आंदोलन से जोड़ा तथा 15 लाख रुपये की सहयोग राशि जुटाई। चौरी-चौरा की घटना के बाद गांधी दुवारा विढ्रोह को समाप्त किया जाने का पटेल ने समर्थन किया। इसके पश्चात् पटेल ने गुजरात में मधपान, छुआछूत,जाती भेद,स्त्री दमन के विरोध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
भारत छोड़ो आंदोलन
दूसरी विश्व युद्ध के आरंभ होने पर पटेल ने गांधी दुवारा अवज्ञा के आह्वान पर हिस्सा लिया एवं 1940 में गिरफ्तार हो गये। वह 9 महीने जेल में रहें। उन्होंने 1942 के क्रिस्प मिशन के प्रस्तावों का भी विरोध किया।
भारत का एकीकरण
आज़ादी के बाद पटेल जी दुवारा भारत को अखंड एवं एक बनाने के प्रयासों के चलते उन्हें लोकप्रियता मिली। उन्हें एक ऐसे व्यक्ति के तौर पर याद किया जाता है जिससे भारत को एक बनाया। 3 जून की योजना के तहत 562 रियासतों को भारत अथवा पाकिस्तान में विलय या स्वतंत्र रहने का विकल्प दिया गया था। सरकार ने पटेल जी को रियासतों के एकीकरण कार्य के लिए सबसे उपयुक्त व्यक्ति माना और उन्हें ही एकीकरण का जिम्मा सौपा। गांधीजी ने पटेलजी से कहा था "सज्यों की इतनी जटिल है कि केवल तुम ही इसका समाधान कर सकते हो" पटेल जी ने बल एवं अनुनय का सामंजस्य बिठाकर भारत के एकीकरण को सफल बनाया।
उन्होंने बिना खून- खराबें,एक बिखरे हुए राष्ट्र को एक बना दिया। उनके ऐसे महान कार्य के लिए सरदार पटेल जी "लौह पुरुष" की उपाधि दी गयी। 15 दिसम्बर, 1950 को सरदार पटेल की हृदयाघात से मृत्यु हो गयी। राष्ट्र के प्रति उनकी सेवाओं के लिए सरदार पटेलजी को 1991 में मरणोरांत भारत रत्न से विभूषित किया गया।
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