NPA-(Non-Performing Asset) क्या होता है - NPA of Banks
बैंक दवारा दिए गए ऋण की वहा राशी जिस पर बैंक कोई लेनदेन नहीं कर सकता | अर्थात जब बैंक किसी व्यकित या संस्था को जो ऋण देती हे। उस राशी पर न ब्याज प्राप्त हो और न बकाया राशी की क़िस्त प्राप्त हो तो बैंक एसे ऋणों को NPA (Non Performing Assets) गैर निस्पंदकारी संपतियां घोषित कर देता हे | किसी भी ऋण को NPA घोषित करने की एक समय अवधि होती हे।
जब एक वर्ष में किसी भी ऋण पर 90 दिन या तीन माह से अधिक होने पर न ऋण की राशी पर ब्याज प्राप्त हो न मूलधन की क़िस्त तो एसे ऋण को NPA घोषित कर दिया जाता हे। सन 1993 यहाँ समय अवधि 12 माह थी। सन 1995 इस समय अवधि को घटा कर 6 माह कर दिया गया।
सन 2014 में बड़ते NPA की चिंता को देखते हुए इस समय अवधि को 3 माह कर दिया गया। सन अक्टूबर में रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने NPA के लिए पूरक व्यवस्था के रूप में ग्रेडेड प्रोविजनिंग प्रणाली (Graded Provisioning System ) की शुरुवात की। जिस के अंतर्गत NPA को तीन भागो में बाटा गया। NPA को जानने के लिए प्रोविजनिंग को भी समझना जरुरी हे।
प्रोविजनिंग(Provisioning) का विवरण इस प्रकार हे :-
प्रोविजनिंग या समायोजन एक व्यापक शब्द हे, इसके कई नियम और आधार होते हे। पर सामान्य रूप से बैंक अपनी सम्पति या आय में से एक राशी निर्धारित कर एक कोष बना लेती हे। जिससे की यदि निकट भविष्य में दिए गए ऋण के डूब जाने पर या घटा होने पर उसकी पूर्ति कोष की राशी से करती हे इसी को समायोजन या प्रोविजनिंग कहते हे।
अब रिजर्व बैंक ने NPA को जिन तीन भागो में बाटा हे उसका विवरण इस प्रकार हे :-
1. सब स्टैण्डर्ड संपत्तियां ( Sub Standard Assets ) :- जब कोई ऋण 12 माह या इस से कम समय के लिए NPA रहता हे तो इसे सब स्टैण्डर्ड संपत्तियां कहते हे। एसे ऋण में सुरक्षा निघी का बाजार मूल्य ऋण की राशी से कम होता हे इस में बैंक को बकाया राशी के 15% तक प्रोविजनिंग करनी पड़ती हे। और सुरक्षा निधि जमा नहीं होने पर 25% तक प्रोविजनिंग करनी पड़ती हे।
2. संदिग्ध संपत्तियां ( Doubtful Assets ) :- जब कोई NPA 12 माह से अधिक समय के लिए NPA रहता हे तो एसे NPA को संदिग्ध संपत्तियां कहते हे। जब कोई NPA एक साल तक संदिग्ध संपत्ति के रूप में रहता हे तो इसमे बैंक को बकाया राशी पर 25% तक प्रोविजनिंग करनी पड़ती हे। जब कोई NPA तीन साल तक संदिग्ध सम्पत्ति के रूप में रहता हे तो बकाया राशी पर 40% तक प्रोविजनिंग करनी पड़ती हे। और तीन साल से अधिक होने पर 100% प्रोविजनिंग करनी पड़ती हे।
3. हानि वाली संपत्तियां ( Lossful Assets ) :- जब बैंक यह मन लेता हे की उसके ऋण की कीमत बहुत कम या ख़त्म हो गई हे। तो उसे राईट ऑफ (Right Off) या डूबत ऋण घोषित कर दिया जाता हे एसे ऋण में बैंक को बकाया राशी के 100% तक प्रोविजनिंग करनी पड़ती हे।
प्रोविजनिंग NPA का समाधान नहीं हे | इससे बैंक का लाभ कम होता हे या घाटा बड जाता हे |