जन्म:- विष्णु खरे का जन्म 1940 में छिन्द्वारा, मध्या प्रदेश में
हुआ | 1963 में क्रिशिचयन कालेज, इंदौर उन्होंने अंग्रेजी सहित्या में एम्.ए. किया
| 1962-63 में दैनिक ‘इंदौर समाचार’ में उप संपादक रहे | 1963-76 तक दिल्ली तथा
मध्य प्रदेश के महाविधालयो में अध्यापन से भी ज़ुड़े | इसी दोरान 1966-67 में लघु
पत्रिका ‘व्यास’ का संपादक किया | उसके बाद 1976-84 तक सहित्य अकादमी में उप सचिव
पद पर कार्यकर्ता रहे | 1985 से नवभारत टाइम्स में प्रभारी कार्यकारी संपादक के पद
पर कार्य किया | बिच में लखनाऊ संस्करण तथा अंग्रेजी टाइम्स ऑफ़ इंडिया और रविवारीय
‘टाइम्स ऑफ़ इंडिया’(हिन्दी) में भी संपादक कार्य से जुरे रहे | 1993 में कुछ दिनों
तक जयपुर में नवभारत टाइम्स के संपादक के रूप में कार्य किया | इसके बाद जवाहर लाल
नेहरु स्मारक संगृहालय तथा पुस्तकालय में दो वरिस्ट अध्यता के पद पर आसीन रहे | अब
सुतन्त्र लेखन तथा अनुवाद कार्य रत हैं |
प्रमुख रचनाएँ:- औपचारिक रूप से उनके लेखन प्रकाशन का आरंभ 1956 में हुआ |
पहला प्रकाशन 1960 में टी.एस.इलियट का अनुवाद ‘मरू प्रदेश और अन्य कविताएँ’ दूसरा
कविता संग्रह ‘एक गैर-रूमानी समय में’ 1970 में प्रकाशित हुआ | तीसरा संग्रह ‘खुद
अपनी आँख से’ 1978 में, चौथा ‘सबकी आवाज की परदे में’ पाँचवा 1994 में ‘पिछला
बाकी’ और छटवा ‘काल और अवधि के दरमियान’ प्रकाशित हुए | 1983 में एक समीश्क्षा-पुस्तक ‘आलोचना की पहली किताबी’
प्रकाशित हुई |
परुस्कार एवं सम्मान:- उन्होंने विदेसी कविताओ का हिन्दी तथा अंग्रेजी अनुवाद किया
है | उन्हें फ़िनलैंड के रास्ट्रीय सम्मान ‘नाईट ऑफ़ दी आर्डर ऑफ़ दी वाइट रोज’ से भी
सम्मानित किया गया | इसके अतिरिक्त रघुवीर सहाए सम्मान, मैथिलि शरण गुप्त सम्मान,
शिखर सम्मान हिन्दी अकादमी दिल्ली का ‘साहित्त्याकर सम्मान’, मिल चुके है |
इन्होने अपनी कविताओ में भाषा के मद्ध्यम से जर्ताओ और अमाविये स्तिथि के विरुद्ध
सशक्त नैतिक स्वर को अभिव्यक्ति दी हुई है |