भारत का मंगलयान / मंगल मिशन-Mars Orbiter Mission / लेख, निबंध

Hindi Articles

भारत का मंगलयान / मंगल मिशन / मंगल ग्रह- लेख, निबंध,

प्रस्तावना: अभी तक ऐसा कोई प्रमाण नहीं मिला कि अंतरिक्ष पर जीवन संभव नहीं है कुछ भी ले सकते हैं जैसे कीड़े , बैक्टीरिया या वनस्पति या कुछ भी परंतु यही हासिल हुआ की अंतरिक्ष में जीवन संभव नहीं है इसके बावजूद दावे के साथ नहीं कह सकते हैं कि जीवन वहां पर संभव नहीं है लेकिन फिर भी वैज्ञानिकों ने कई कोशिश करी परंतु कुछ हासिल नहीं हुआ पर ऐसा नहीं है भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी का उपग्रह मंगलयान मंगल ग्रह की कक्षा में प्रवेश कर चुका है और यह भारत के अंतरिक्ष पर शोध की एक अद्भुत घटना है जो कामयाब भी रही तो हो सकता है आगे चलकर हमारे यहां के वैज्ञानिक अपना मंगलयान को भेजने में पहली ही कोशिश में सफलता हासिल कर ली तो वो दिन दूर नहीं जब हमारे देश के वेज्ञानिक वहां रह कर भी आ जाये और उसमे भी कामयाब रहे।

भारत का मंगलयान /  मंगल मिशन-Mars Orbiter Mission / लेख, निबंध
मंगलयान /  मंगल मिशन-Mars Orbiter Mission 

भारत का मंगलयान कब छोड़ा गया?

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ( Indian Space Research Organisation) की एक महत्वकांक्षी अंतरिक्ष परियोजना है। जिसमें भारत का मंगलयान 5 नवंबर 2013 को 2:30 पर मंगल ग्रह की परिक्रमा करने हेतु छोड़ा गया।

आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से धुर्वीय उपग्रह प्रक्षेपण यान सी-25 के द्वारा सफलतापूर्वक छोड़ा गया था। यह दिन हमारे देश के लिए बहुत ही गौरवपूर्ण दिन रहा।

हमारे भारत के मंगलयान की ऐतिहासिक कामयाबी

मंगलयान की सफलता पर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान इसरो के वैज्ञानिकों ने कहा कि मंगल की कक्षा में जाने की प्रक्रिया बिना किसी गड़बड़ी के हो गई थी तरल इंजन की 24 मिनट के बर्न आउट के बाद यान कक्षा में स्थापित हो गया था।

पर हमारे देश ने वह कर दिखाया जो कई अन्य विकसित देश जैसे अमेरिका और चीन जैसा देश भी नहीं कर सका दुनिया के कई देशों ने लगभग मंगल में पहुंचने के लिए 51 मिशन छोड़े इनमें से कामयाब बस 21 ही हुए हैं पर भारत का मंगलयान 67 किलोमीटर का सफर पूरा करके पहली ही कोशिश में सीधे मंगल ग्रह की कक्षा में जा पहुंचा।

भारत की ओर से मिशन मंगल जो मिशन मंगल पर पहली कोशिश में पहुंचा उसका नाम मार्स ऑर्बिटर मिशन यानी (mars orbiter mission ) नाम है जिस दिन हमारा मंगल वहाँ पर पहुंचा उस दिन बुधवार का दिन था पर खुशी इतनी थी कि चारों ओर ही बस मंगल ही मंगल की चर्चा हो रही थी।

सुबह से ही सभी की सांसे थम सी गई थी सब बस मॉम को मंगल पर पहुंचने का इंतजार कर रहे थे निगाहे बस इसरो के मंगल मिशन पर ही थी करीब 7:31 पर मंगल का इंजन चालू करने के बाद सस्पेंस कि करीब 30 मिनट बहुत भारी हो रहे थे कुछ भी हो सकता था कि सफलता मिलेगी कि नहीं यान मंगल के पीछे जा चुका था रेडिओ संपर्क टूट चुका था कुछ पता नहीं चल रहा था कि वहां क्या चल रहा है लेकिन बुधवार के दिन बस मंगल होना था सो हो गया और 7:58 पर यान मंगल की छाया से बाहर आ गया 4 मिनट बाद 8:02 पर इसरो के सेंटर पर खुशी की लहर दौड़ गई थी।

हमारा मोम अमेरिका स्पेस एजेंसी नासा की मावेन मिशन के मंगल की कक्षा में पहुंचने की ठीक 48 घंटे बाद भारत के मंगलयान ने लाल ग्रह की कक्षा में प्रवेश करने में सफलता पाई मंगलयान पर 450 करोड रुपए खर्च हुए जो नासा के मार्स मिशन का दसवां हिस्सा ही है.

इस प्रकार कम समय और कम खर्चे की लागत में और कड़ी मेहनत से हमारे मंगलयान ने मंगल पर अपनी सफलता हासिल करि।

मंगल पर पहुंचने वाले नाकामयाब देश

एशिया में कोई भी ऐसा देश नहीं है जिसने मंगलयान पर पहली ही कोशिश में सफलता प्राप्त की हो पर हमारे देश का मंगलयान पहली ही कोशिश में सफल रहा।

चीन

चीन का मंगल मिशन यंगहाउ -1, 2011 में असफल हो गया था।

जापान

1998 में जापान का मंगलयान ईंधन खत्म होने के कारण असफल रहा।

अमेरिका

अमेरिका ने भी पहली पहली 6 कोशिश में नाकामयाब रही थी।

मंगलयान की सफलता में रूस, अमेरिका, यूरोपीय यूनियन, के बाद भारत चौथे स्थान पर है भारत का मंगलयान पहली ही कोशिश में सफल रहा।

मंगलयान की सफलता पर बधाई देने वाले सदस्य। 

मंगलयान के सफलतापूर्वक मंगल की कक्षा में प्रवेश होते ही पूरे विश्व से भारत को बधाई संदेश आने लगे थे राजनेता से लेकर अभिनेता, वैज्ञानिकों ,प्रधानमंत्री ,राष्टपति सभी ने अपनी ख़ुशी जाहिर करते हुए भारत के मंगलयान पर ढेरो बधाईया दी उनमे से कुछ के नाम इस प्रकार है।

इस उपलक्ष में हमारे देश के प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने अपनी ख़ुशी जाहिर करते हुए कहा की।
'हमने इंसानी साहस और नवीनता की सीमा पार कर ली है।,
(1) शशि थरूर।
(2) अरविंद केजरीवाल।
(3) अमिताभ बच्चन।
(4) मधुर भंडारकर।
(5) मनमोहन सिंह।

इत्यादि इन सभी ने चाहे वह क्रिकेटर हो फिल्म इंडस्ट्री के लोग हो राजनेता हो सभी ने मंगलयान की जीत पर ढेरों बधाइयां दी इसके साथ ही भारत के वैज्ञानिकों में खुशी की लहर दौड़ गयी ,सभी वैज्ञानिको के लिए ये मिशन बहुत महत्वपूर्ण था जिसमें उन्होंने सफलता प्राप्त की।

वैज्ञानिकों के उद्देश्य

यह सफलता साइंस और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में विकास और सुधार के नए द्वार,खोलेगी।
  • मंगल ग्रह की सतह की आकृति, स्थलाकृति और खनिज का अध्ययन करके विशेषताएं पता लगाना

  • सुदूर संवेदन तकनीक का उपयोग कर मंगल ग्रह का माहौल के घटक सहित मीथेन और कार्बन डाइआक्साइड का अध्ययन करना।

  • मंगल ग्रह के ऊपरी वायुमंडल पर सौर हवा, विकिरण और बाह्य अंतरिक्ष के गतिशीलता का अध्ययन

  • मिशन मंगल के चाँद का भी निरीक्षण करने के लिए कई अवसर प्रदान करेगा
मंगलयान का मुख्य उद्देश्य भारत के रॉकेट प्रक्षेपण प्रणाली, अंतरिक्ष यान के निर्माण और संचालन क्षमताओं का प्रदर्शन करने के लिए हैं। विशेष रूप से, मिशन का प्राथमिक उद्देश्य ग्रहों के बीच के लिए मिशन के संचालन,उपग्रह डिजाइन, योजना और प्रबंधन के लिए आवश्यक तकनीक का विकास करना है। द्वितीयक उद्देश्य मंगल ग्रह की सतह का स्वदेशी वैज्ञानिक उपकरणों का उपयोग कर विशेषताओं का पता लगाना है।

उपसंहार

मंगलयान हमारे देश का एक गौरवमयी और महत्वकांक्षी मिशन रहा है जिसने पूरे विश्व में भारत का नाम रोशन किया है तथा उन सभी अग्रणी देशों की पंक्ति में खड़ा होने का भारत को सौभाग्य प्राप्त हुआ है जिसमें कुछ ही देशों ने यह सफलता प्राप्त की है जैसे अमेरिका, रूस, यूरोपीय यूनियन ,और अब भारत,भारत ने इसमें अपना चौथा स्थान बनाया वह भी पहली ही कोशिश में।

देश के उन सभी महान वैज्ञानिकों को आभार जिन्होंने इस महत्वपूर्ण मिशन को सफल बनाने में अपना परोक्ष और अपरोक्ष रूप से भारत के मंगलयान में सहयोग प्रदान किया है।

#सम्बंधित हिंदी निबंध