याददाश्त जाने का कारण और रोकने के उपाय

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याददाश्त जाने का कारण और रोकने के उपाय: याददाश्त क्या होता है ? और याददाश्त कम कैसे हो जाता है ?क्या इसको रोकने के भी कोई उपाय है ? अगर है तो हम आज आपको बताएंगे।

चलिए सबसे पहले हम इसी के कुछ प्रसन के ऊपर चर्चा करते है। शुरू करते हैं,  याददाश्त क्या है ? हमारे मस्तिष्क का वह भाग जहां हमारे कामकाज और जो हम दिनभर देखते हैं वह स्टोर या जमा रहता है उसे को हम याददाश्त मान सकते हैं। ताकि हम जब भी उस चीज को दुबारा देखते हैं तो हमारे दिमाग में वह चीज अपने आप ही आने लगता है, कि यह तो मैंने पहले देखा है! यह तो मैंने पहले किया है! यही तो याददाश्त है।

लेकिन आज के दौर में बढ़ते टेक्नोलॉजी के कारण याददाश्त का कमजोर होना सबसे प्रमुख समस्या के रूप में हमारे ही नहीं बल्कि पूरे संसार के सामने खड़ा हुआ है। याददाश्त जाने का मतलब होता है कि आप कुछ भी याद रखते हैं और उसको जल्द से जल्द भूल जाते हैं, जैसे घरेलू दिनचर्या में आपको यह याद नहीं रहता कि हमने अपना फलाना सामान कहां पर रखा था,

इस चक्कर में आपको बहुत देर तक ढूंढना पड़ता है तो आपको पता चलता है कि मेरा याददाश्त धीरे-धीरे कमजोर हो रहा है। याददाश्त कमजोर होना एक उम्र की बीमारी है जो कि 70 साल से ज्यादा उम्र के लोगों में पहले होता था लेकिन अभी के दौर में बच्चे बूढ़े में कोई अंतर नहीं है सबके साथ ऐसा हो रहा है तो अगर आपके साथ भी ऐसा हो रहा है तो हम आपको बताते हैं कि आप इस पर कैसे नियंत्रण रख सकते हैं आज के समय में याददाश्त कमजोर होना एक बहुत बड़ी समस्या के रूप में हमारे सामने आ खड़ी है ।


याददाश्त जाने का कारण और रोकने के उपाय

याददास्त ख़त्म होने का कुछ मुख्या कारण :-


इस पोस्ट में हम बताएंगे की उनसे हम कैसे बच सकते हैं ?  यह भी बताएंगे की याददाश्त कमजोर होने पर हम कैसे याददाश्त को बढ़ा सकते हैं।

याददाश्त कैसे कम होता है? 

1. मल्टी टास्किंग काम करने से:-  दोस्तों अगर आप कई तरह का काम करते हैं तो हमारा इसस याददाश्त प्रभावित होता है , कहा जाता है कि कई कामों में माहिर होने का मतलब एक भी काम ठीक से नहीं करना।

एक साथ कई काम करने से किसी चीज पर फोकस नहीं होता। एमआईटी के न्यूरोसाइंटिस्ट अथर्व मिलर के अनुसार हमारा दिमाग मल्टी टास्किंग के लिए नहीं बना है , ऐसा करते समय हम एक काम छोड़कर दूसरा करने लगते हैं , इससे फोकस करने की दिमाग की क्षमता कम होता है।

2. इंटरनेट से बदल रहा है मेमोरी पैटर्न:-  देखा जाए तो अभी के समय में याददाश्त मोबाइल के कारण भी बहुत कम होता हो रहा है, जैसा पहले हम बहुत सारे मोबाइल नंबर याद रखा करते थे लेकिन अब 2-4 नंबर भी याद नहीं रख पाते हैं, इससे पता चलता है कि गैजेट हमारे याददाश्त को कमजोर कर रहा है । Google से हर जानकारी एक क्लिक पर मिल जाती है, इसलिए इसने दिमाग की याददाश्त से संबंधित हिस्से को सबसे ज्यादा क्षति पहुंचाई है। Google में मिलने वाली सारी जानकारी के चलते हम अपने दिमाग का ना तो पूरा यूज़ कर पाते हैं और ना ही उसे संतुलित कर पाते हैं।

परिणाम स्वरुप होता यह है कि हमारा दिमाग दिन-ब-दिन याददाश्त कमजोर होता जाता है इसमें सबसे बड़ा हाथ टेक्नोलॉजी का ही है जो पहले हम याद करने से कर लेते थे अब हम उसे सेव करके रखते हैं और यूज़ करते हैं तो ना ही इससे हमारे दिमाग का कोई कसरत होता है और ना ही हमारे दिमाग का ब्रेनवाश(Brain wash ) होता है इस कारण हमारे दिमाग से याददाश्त दिन-ब-दिन कम होता जाता है

याददाश्त कमजोर होने से कैसे बचा जा सकता है 

कोलंबिया यूनिवर्सिटी के शोध के अनुसार इंटरनेट,स्मार्टफोन,टैबलेट मेमोरी पैटर्न बदल रहे हैं। इसमें  (क्या और कैसे) याद रखने की क्षमता प्रभावित हो रही है, हर सामान्य बात पर Google का सहारा लेना ठीक नहीं है।

अब हम आपको बताएंगे कि आप कैसे दिन में छोटे-छटे काम करते हैं तो उसी में अगर कुछ बात को आप जोड़ते जाते हैं तो आपका दिमाग से याददाश्त जाने की संभावना लगभग आधी कम हो जाती है और काफी हद तक आपका दिमाग साफ सुथरा और सही सोचने के लिए डेवेलोप होता है। इन निम्नलिखित बातों  का आप अपने ध्यान में रख लीजिए और उसके अनुसार आप कम कीजिए तो आपको कुछ ना कुछ फायदा जरुर होगा आइए हम देखते हैं।

टिप्स 1. अगर आप 2 मील रोज चलते हैं तो उससे हमारा याददाश्त बढ़ता है, जब हम अपने आसपास के पर्यावरण से जुड़ते हैं तो दिमाग अधिक जानकारियां ग्रहण करने के लिए विकसित होता है।  रोज 40 मिनट पैदल चलने वालों का डिमेंशिया की संभावना 60% तक कम हो जाती है, अमेरिका की पीटर्सबर्ग यूनिवर्सिटी के शोध के अनुसार रोज कम से कम 2 मील पैदल चलने वालों की याददाश्त पर उम्र का असर बहुत कम होता है, और वह लंबी उम्र में भी अपनी याददाश्त को मेंटेन करके रखते हैं।

कहने का मतलब अगर आप 2 किलोमीटर चल लेते हैं तो इससे बहुत ज्यादा फायदा आपको मिल जाता है कि आपका याददाश्त जाने का संभावना कम हो जाता है आपके शरीर पर प्राकृतिक का हवा लगने से मन शुद्ध हो जाता है और जब आप का मन शुद्ध है और शरीर स्वस्थ है तो आपके पास यादाश्त हो या कोई और भी बीमारी हो तो जल्दी पास आने में टाइम लग जाता है वह नहीं आ पाता है। 

आपके नजदीक में पार्क है तो कम से कम इतना करें कि जो 3 किलोमीटर चल लिया करें या अगर फिर आपके पास साइकिल है या फिर दौड़ने वाला मशीन है तो आप वहां भी इस तरह का कसरत कर सकते हैं। इससे आपको यह फायदा होगा और अगर आप ऐसा करते हैं तो उस टाइम आप यह ध्यान रखें कि आप जूते या चप्पल नहीं पहने हो, आपको बहुत ज्यादा फायदा होगा अगर आप सुबह सुबह उठकर हरी घास पर चलते हैं और दौड़ते हैं तो उससे भी आपके याददाश्त पर बहुत ज्यादा असर होता है

टिप्स 2. नई भाषा सीखने से भी बढ़ती है याददाश्त- कहते हैं कि अगर दिमाग को भी लगातार कसरत की तरह चलाते रहे, तो खास तौर पर तब जब उम्र बढ़ रही हो तो हमारा दिमाग किसी भी चीज को जल्दी से जल्दी पकड़ने का कोशिश करता है। स्वीडन में हुए एक शोध के अनुसार बढ़ती उम्र में एक नई भाषा सीखना यादाश्त बढ़ाता है, इससे दिमाग का हिप्पोकैंपस और सेरेब्रल कार्टेक्स का हिस्सा मजबूत होता है, मस्तिष्क का यह हिस्सा विचार और याद के लिए होता है।

अगर आपको कम उम्र में भी भूलने का और याददाश्त गुम हो जाने का आदत है तो आप कुछ काम करके आप इससे बच सकते हैं जैसे आप घर में अगर बैठे रहते हैं तो आप ऐसा करें कि कुछ बुक मंगा लें और उसे पढ़ें लगातार पढ़ते रहें जिससे होगा यह कि आप का दिमाग हमेशा चलता रहेगा और लगातार कसरत करता रहेगा अगर आपका दिमाग लगातार चलता रहेगा तो फिर आप नए भाषा सीखेंगे नई चीज सीखेंगे और नई चीज सीखने से हमारे दिमाग का विकास होता है हमारे याददाश्त का विकास होता है इससे आपको कोई भी दिक्कत भी नहीं होगा और आपका याददाश्त भी बना रहेगा।

हमने आपको यह बताया कि याददाश्त को कैसे बचा सकते हैं और यादाश्त जाने के क्या कारण है यानी कि भूलने की बीमारी क्या है और हम क्यों भूलते हैं और इससे बचने का क्या उपाय है हमारे दुनिया के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय और संस्थान के वैज्ञानिक के बारे में भी आपको बताया है तो इस लिखे गए आर्टिकल पर आप अपना प्रतिक्रिया जरूर दें कि आपको यह आर्टिकल कैसा लगा ताकि हम आपके लिए और भी तरह तरह के पोस्ट लेकर आते रहेंगे धन्यवाद